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Sunday, December 5, 2010

बेचैनी

उल्टा पुल्टा सुलटा,
मैं क्यों नहीं घुलता मिलता?,
औरो के गुण धर्मोसे से,
मेरा धर्म क्यों नहीं मिलता?,
मैं क्यों नहीं अदा तिरछा?,
ये गोल गोल है कैसा?,
मैं बहता क्यों नहीं सरसर?,
क्या अटक रहा है खडखड?,
नए सपने क्यों नहीं आते?,
पुराने और पुराने हो जाते?,
क्यों इतने सवाल है मेरे?,
क्यों जवाब गुम है मेरे...?
रंग.दे

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