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Sunday, December 5, 2010

मैं आम आदमी

आसमा की और देखकर बुने हुए सपने,
अब शायद झुठे लगते है,
विग्यान ने तर्रकी जो करली है,
हर बात का अब कारन स्पष्ट होता है,
आसमा के तारो का, और सपनो का भी,
और वो ब्रम्हांड का भी रहस्य खोज रहे है,
फिर भी सपने आते है,
शायद मैं हर बात को नहीं समझना चाहता हु,
झुठ ही सही,
पर सपनो में जिना चाहता हु....
रंग.दे

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